दिग्गजों की भीड़ से जूझ रही बीजेपी

उत्तराखंड में भाजपा के पास दिग्गजों की भरमार है। चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत जैसे सियासी सूरमा अब टीम भाजपा का हिस्सा हैं। पार्टी इनके सहारे उत्तराखंड की सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त है। हालांकि बड़े नेताओं का कद और पद उसके लिए मुश्किलें भी खड़ा कर रहा है। किसी एक को तवज्जो मिलने से बाकी नेता बगावत पर न उतर आएं, इसलिए पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने से परहेज किया है।

उत्तराखंड भाजपा में भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूड़ी और डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के साथ-साथ कांग्रेस से आए विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट और सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, त्रिवेंद्र सिंह रावत व मदन कौशिक के भी सीएम पद पर दावेदारी ठोकने की खबरें हैं।

जानकारों के मुताबिक काफी विचार-विमर्श के बाद भी पार्टी नेताओं में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी। ऐसे में भाजपा हाईकमान ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर सियासी समर में कूदने का फैसला किया।

भाजपा केंद्र सरकार की उपलब्धियों और प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में हुए कामकाज को लेकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेगी। विश्लेषक इसे पार्टी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बता रहे हैं। दरअसल, 2012 में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने का भाजपा का अनुभव अच्छा नहीं रहा था।

पार्टी ने विधानसभा चुनावों में तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी पर दांव खेलते हुए खंडूड़ी हैं जरूरी नारा दिया था, लेकिन खंडूड़ी खुद ही मैदान हार गए और पार्टी सत्ता से महज कुछ कदम दूर रह गई। भाजपा की अंदरूनी कलह इसकी बड़ी वजह थी। लिहाजा इस बार पार्टी ने किसी एक चेहरे को सामने नहीं किया है।

साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तराखंड की 70 में से 63 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी। इससे लोकसभा में उत्तराखंड की पांचों सीटें कांग्रेस के हाथों से फिसलकर भाजपा के पास चली गई थीं। अब पार्टी ने पांचों सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटें जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है।

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