Uttarakhand: अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की नजर
पिथौरागढ़: अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में खासी उम्मीद लगाई बैठी है. राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को इलेक्शन कैम्पेन कमेटी की कमान मिलने से यह उम्मीद और परवान चढ़ रही है. यह बात अलग है कि बीजेपी इससे रत्ती भर भी इत्तेफाक नहीं ऱख रही है. अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ कांग्रेस नेता हरीश रावत गृह क्षेत्र है. कभी रावत ने इसी लोकसभा सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को हराया था. तभी से इस लोकसभा क्षेत्र में हरीश ऱावत का दबदबा कायम है. पार्टी में विधायकों के टिकट हो या फिर सांसद के उम्मीदवार का चयन हर चुनाव में वही हुआ जो हरीश रावत ने चाहा.
दरअसल, रावत को इलेक्शन कैम्पेन कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने से इस लोकसभा के कांग्रेसी खासे उत्साहित हैं. कांग्रेस को भरोसा ही नहीं बल्कि पूरा यकीन है कि इसका लाभ विधानसभा चुनावों में मिलेगा. कांग्रेसी विधायक हरीश धामी का कहना है कि 2017 के चुनावों में जनता डबल इंजन के झांसे में आ गई थी, लेकिन डबल इंजन ने विकास के बजाय जनता का खून चूसा है. यही नहीं लोगों को अब अपनी गल्ती का एहसास हो गया है. इस लोकसभा ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश चाहता है कि हरीश रावत फिर से सीएम बनें. बता दें कि अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 14 सीटे हैं. बात अगर बीते विधानसभा चुनावों की करें तो यहां कांग्रेस के सिर्फ 3 विधायक जीते थे. राज्य बनने के बाद ये कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन था. लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि 2017 में अधिकांश कांग्रेसी उम्मीदवार बीजेपी से कांटे के मुकाबले में हारे थे. ऐसे में कांग्रेस भले ही हरीश रावत को चेहरा बनाए जाने से खुश हो, लेकिन बीजेपी को इससे कोई मतलब नहीं है. बीजेपी का कहना है बीते विधासभा चुनावों में भी हरीश रावत ही चेहरा थे. फिर भी कांग्रेस चारो खाने चित्त हुई थी. कुछ ऐसा ही इस बार भी होगा. कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि हरीश रावत का अब कोई प्रभाव नहीं है. बीजेपी पिछले बार से भी ज्यादा सीटें इस लोकसभा में जीतेगी. हरीश रावत को चेहरा बनाए जाने का कितना फायदा कांग्रेस को मिलेगा ये तो चुनाव के बाद ही साफ हो पाएगा. लेकिन इतना जरूर है कि चुनावों तक इस लोकसभा की राजनीति रावत के इर्द-गिर्द ही सिमटती नजर जरूर आएगी.