बगावत से कांग्रेस के एक लाख सदस्य घटे!

पिछले एक साल में हुई बगावत की वजह से कांग्रेस को खासा नुकसान पहुंचा है। 15 बडे़ नेताओं के जाने से माना जा रहा है पार्टी की सदस्यता में एक लाख लोगों की कमी आई है। ये वो लोग हैं जो कांग्रेस के बागियों के साथ जुडे़ हुए थे और उन्हीं के साथ वो भी कांग्रेस से नाता तोड़कर चले गए। इस झटके से उबरने के लिए कांग्रेस ने नए सिरे से सदस्यता अभियान शुरू किया है। सदस्यता अभियान प्रभारी राजेंद्र भंडारी के अनुसार बगावत की वजह से हुए नुकसान को देखते हुए सदस्यता को दोगुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में कांग्रेस की सदस्यता संख्या नौ लाख से ज्यादा है। जितने सदस्य कम हुए हैं, उनकी संख्या के दोगुने के बराबर नए सदस्य बनाए जाएंगे। भंडारी के अनुसार सदस्यता अभियान में कांग्रेस ने कुछ बदलाव भी किए हैं। सदस्यता की पूरी जिम्मेदारी जिलाध्यक्ष को दी जा रही है। प्रदेश नेतृत्व का दखल खत्म कर दिया गया है। प्रदेश स्तर पर बडे़ नेताओं को दी जाने वाली सदस्यता किताबे नहीं दी जाएगी। यदि प्रदेश अध्यक्ष या कोई शीर्ष नेता सदस्यता किताब वितरित भी करता है इसकी जानकारी संबंधित जिलाध्यक्ष को भी दी जाएगी। देहरादून। कांग्रेस हाईकमान ने खामोशी के साथ राज्य में कांग्रेस में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी। सूत्रों के अनुसार राज्य प्रभारी अंबिका सोनी ने हाल में प्रदेश के कुछ शीर्ष नेताओं, विस चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी रहे और पूर्व विधायकों से बातचीत की है। सोनी ने चुनाव के नतीजों का फीड बैक लिया है तो साथ प्रदेश संगठन को लेकर भी नेताओं का मूड भांपने की कोशिश की है। एक वरिष्ठ नेता के अनुसार प्रदेश संगठन पर दो संभावनाएं हैं। पहला, हाईकमान अब तक बने सभी प्रदेश अध्यक्षों को दो कार्यकाल देता आया है।

हरीश रावत के बाद यशपाल आर्य भी दो टर्म तक अध्यक्ष रहे थे। इस फार्मूले से वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को दूसरा टर्म मिल सकता है। दूसरा, चुनाव में शर्मनाक की वजह से हाईकमान प्रदेश में आमूलचूल परिवर्तन के पक्ष में भी है। चूंकि तमाम विरोध के बावजूद डॉ. इंदिरा ह्दयेश को नेता प्रतिपक्ष की अहम जिम्मेदारी दी जा चुकी है। तो अब क्षेत्रीय और जातीय समीकरण के लिहाज से गढ़वाल से किसी ठाकुर नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

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