मायावती ने चुनाव में ईवीएम मशीन से छेड़खानी पर फिर लगाया आरोप

www.kaumiguldasta.com: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने एक बार फिर से उत्तरप्रदेश चुनाव में ईवीएम में छेड़छाड़ की बात छेड़ दी है. मेरठ में आयोजित रैली में मायावती ने कहा कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में एक सोची-समझी रणनीति के तहत ईवीएम में गड़बड़ी कर बीएसपी को नुकसान पहुंचाया गया. हमारी पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी के विरोध में देशव्यापी आंदोलन किया था. ईवीएम में गड़बड़ी कर चुनावों में होने वाली धांधली को रोकने के लिए बीएसपी सुप्रीम कोर्ट भी गई है. इस बात से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी ने सहारनपुर में हिंसा करा दी. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए बीजेपी ने एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश के तहत सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलित-राजपूत के बीच हिंसा कराई. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के कुछ दिन बाद ही महाराणा प्रताप की जयंती पर जुलूस निकालने को लेकर शुरू हुए मामूली विवाद को बीजेपी ने हवा दे दी, जिसके बाद क्षत्रिय और दलित समाज के बीच हिंसा हो गई.

मायावती ने कहा कि सहारनपुर हिंसा का राजनीतिक लाभ लेने के लिए बीजेपी ने स्थानीय संगठन की मदद भी की. बाद में दिखावटी रूप में कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी की गई. बीजेपी का मंसूबा है कि दंगे के बाद दलितों के आंसू पोछने के नाम पर दलितों के बीच में आकर बीजेपी नेता बड़े बड़े भाषण देंगे और दलितों की सहानुभूति पाएंगे. उन्होंने कहा 18 जुलाई को राज्यसभा में उन्हें इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष ने बोलने नहीं दिया. उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है. यही वजह है कि मैंने राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.  मायावती ने अपने वोट बैंक को एकजुट करने के इरादे से कहा कि बीजेपी वाले राजनीतिक द्वेष रखते हैं. उन्होंने दलितों की एकता को तोड़ने के लिए रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था. मायावती ने अपील की कि दलित उनका साथ न छोड़ें, क्योंकि वे कही असली दलित चिंतक हैं. रैली में मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के लोग उनकी हत्या करवाना चाहते हैं.

राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने के बाद मायावती की यह पहली रैली रही. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि बीएसपी प्रमुख ने मेरठ की रैली से ही 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बीएसपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. लोकसभा में इस पार्टी के एक भी सदस्य नहीं हैं. इसके अलावा यूपी विधानसभा में बीएसपी के पास इतने विधायक भी नहीं हैं कि खुद मायावती राज्यसभा पहुंच पाएं. रैली से पहले पार्टी की ओर से कहा गया था कि मायावती भाजपा सरकारों की खासकर दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक तथा गरीब, मजदूर, किसान व मध्यम वर्ग आदि विरोधी, जातिवादी, सांप्रदायिक व पूंजीवादी नीतियों व कार्यप्रणाली का पदार्फाश करेंगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *