कुकुरमते की तरह फैल रहे हैं नौकरियां देने वाले फर्जी दफ्तर

देशभर में नौकरी देने के नाम पर कमाई करने वाले फर्जी संस्थानों की गिनती दिनों दिन बढ़ती जा रही है। सेना और रेलवे में भर्ती करने वाले तथा वीजा पासपोर्ट बनवाकर दुबई एवं दूसरे अन्य देशों में भेजने वाले गिरोह तो लम्बे समय से अपना धंधा करते चले आ रहे हैं किन्तु आजकल दिल्ली तथा इसके आस-पास गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, राजस्थान आदि में सीधी भर्ती शिक्षा कोई बाध्य नहीं, बिना किसी अनुभव के आसान नौकरी आदि के इस्तेहार छपवाकर ठगी करने वाले फर्जी दफ्तर भी देखने सुनने में आये हैं। ये कम्पनियां अखबारों में गार्ड, सुपरवाइजर, अनट्रेंड सुपरवाइजर, गेट कीपर, एजेन्ट, फोरमेन, मशीनमेन आदि की भर्ती के लिए मोटा वेतन, मुफ्त घर और वर्दी वाले इस्तेहार छपवाती है। फिर इन पदों पर भर्ती के लिए आये युवकों की भर्ती करते हैं। उनसे वर्दी तक घर के लिए सिक्योरिटी के नाम पर पैसा जमा करवाकर कुछ दिनों में ही चमपत हो जाते हैं।

पिछले कुछ महीनों की एक घटना है किशोर (काल्पनिक नाम) नाम का युवक नौकरी की तलाश में देहरादून से दिल्ली गया अपने रिश्तेदार के यहां ठहरकर वह नौकरी तलाश कर रहा था कि एक दिन अखबार में अनट्रेंड सुपरवाइजरों की भर्ती का इस्तेहार पढ़ा, वह अपने सारे सर्टिफिकेट लेकर दिल्ली के नजफगढ़ पहुंचा जहां भर्ती चल रही थी, वहीं उसकी भर्ती भी हो गयी पांच हजार रूपये वेतन तथा मुफ्त वर्दी एवं घर पर मामला तय हुआ। फिर उससे कहा गया कि वर्दी के लिए 750 रूपये सिक्योरिटी के रूप में जमा करवा दीजिए और कल से काम पर आ जाइए। 15 दिन की ट्रेनिंग होगी, फिर किसी फैक्ट्री में नौकरी दिला दी जाएगी। किन्तु किशोर के पास उस समय पैसे थे नहीं, इसलिए उसने सिर्फ 350 रूपये जमा करवा दिए और बाकी दूसरे दिन देने का वादा किया। उसे रसीद दे दी गई वह खुशी-खुशी घर लौट आया।

दूसरे दिन जब बाकी के पैसे लेकर वहां पहुंचा तो देखा कि वहां कोई दफ्तर है ही नहीं। उसने आसपास के लोगों से पूछा तो उन्होंने पहले तो उसकी खिल्ली उड़ाई फिर बताया कि यहां कोई दफ्तर वफ्तर नहीं है। कुछ फर्जी किस्म के लोगों ने यह दुकान किराए पर ले रखी है। और जब-जब भर्ती करनी होती हे, वे लोग कुरसी मेज साइनबोर्ड आदि लेकर आते हैं और शाम तक भर्ती करके वापस चले जाते हैं। बेचारे किशोर का सारा जोश ठण्डा पड़ गया।

मैंने उससे पूछा कि तुमने इसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट नहीं लिखवाई। इस पर वह बोला मैं वहां नौकरी ढूढंने गया था मुकदमा लड़ने तो गया नही। यदि रिपोर्ट कर भी दूं तो क्या भरोसा कि पुलिस भी मेरा साथ दे ही? ऐसे नाजायज धंधे करने वालों की पुलिस के साथ सांठगांठ न हो, यह भी तो यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता। 350 रूपये तो गए कौन जाए उनसे लड़ने।

इसी तरह का वाकिया सहारनपुर से दिल्ली गये अरूण के साथ भी हुआ। उसे नांगलोई दिल्ली के एक दफ्तर में भरती किया गया और 750 रूपये वरदी के लिए सिक्योरिटी के रूप में जमा करवा लिए गए। फिर शार्प इन्टरप्राइज विकासपुरी के पते पर उसे भेज दिया गया। वहां घर की सिक्योरिटी के लिए 350 रूपए तथा पहचान पत्र के लिए 50 रूपये जमा करवाए गए। फिर उसे एक अंधेरे और सीलन भरे कमरे में रहने के लिए भेजा गया। वहां पहले से ही 11-12 लोग रह रहे थे। एक हफ्ते तक कहीं किसी ट्रेनिंग पर नहीं भेजा गया। कोई पूछने तक न आया। जो उसके पास पैसे थे, उन्हीं से वह गुजारा करता रहा। किन्तु एक दिन उसे शक हुआ तो उसने कम्पनी के आफिस में जाकर पूछताछ की। पहले तो वह उसे बड़े कायदे से समझाते रहे किन्तु जब उन्हें लगा कि वह आसानी से मानने वाला नहीं है तो उसे ट्रेनिंग के नाम पर रात की चैकीदारी पर तैनात कर दिया गया। हफ्ते भर बाद अरूण को लगा कि उसके साथ धोखा हो रहा है। तब वह एक बार फिर से कम्पनी के आफिस में गया और पूछा कि जब उसे दवा कम्पनी में सुपरवाइजर की नौकरी दी गई है तो वह चैकीदारी की ट्रेनिंग क्यों दी जा रही है। इस पर कम्पनी के कर्मचारियों ने सख्ती से कहा कि यह हमारा ट्रेनिंग का ढंग है। लेकिन अरूण ने अपनी पीड़ा बतानी चाही तो उन लोगों ने कहा कि अभी आपको 6 महीने इसी पद पर काम करना पड़ेगा, करना है तो करिए नहीं तो छोड़कर चले जाइए। इस पर अरूण को भी ताव आ गया और बोला कि तो फिर ठीक है मेरा हिसाब कर दीजिए तब उन लोगों ने कहा कि हमारे यहां हफ्ते भर काम करने वाले लोगों का कोई हिसाब नहीं होता। सिक्योरिटी का पैसा मांगने पर कहा गया कि वह तो रिटायरमेंट के बाद मिलेगा। अपने आप नौकरी छोड़कर जाने वालों को कुछ नहीं मिलता, फिर उन लोगों ने उससे एक सादे कागज पर लिखवा लिया कि मैं यह नौकरी अपनी मर्जी से छोड़कर जा रहा हूं इस में कम्पनी का कोई दबाव नहीं है।

ऐसा सिर्फ किशोर और अरूण के साथ ही नहीं हुआ बल्कि हर रोज कहीं न कहीं सैकड़ों युवकों के साथ इस तरह की घटनाएं होती हैं। इनमें से ज्यादातर कम पढ़े लिखे और देहातों से आए सीधे-साधे नौजवान होते हैं। जहां पूरे देश में अच्छी नौकरियों के लिए घूस के रूप में हजारों रूपयों की मांग की जाती हैं वहां हजार बारह सौ रूपये जमा करवाकर नौकरी पाने का लोभ भला किसे नहीं होगा? सीधे-साधे युवक इन कम्पनियों के इश्तिहार की तरफ आसानी से खिचे चले आते हैं। ये कम्पनियां इतनी चालाकी से अपना काम करती हैं कि लोगों को जल्दी से शक नहीं होता। ये कम्पनियां जब अपना विज्ञापन छपवाती हैं तो अक्सर कम्पनी का नाम न देकर संपर्क का पता देती है ताकि लोग सीधे वहां संपर्क कर सकें। कुछ ढीट किस्म की कम्पनियां अपना कोई फर्जी नाम भी छपवा देती हैं जैसे महलोत्रा कंसलटेंट, सलोरा मल्टीनेशनल कम्पनी, शार्प इन्टरनेशनल, श्रीराम इंडस्ट्रियल कम्पनी, भारद्वाज कंसलटेंट आदि। इससे लोगों के मन कम्पनी की साख का भ्रम पैदा हो जाता है। कई कम्पनियां बकायदा फार्म छपवाकर भेजती हैं। इन कम्पनियों का निशाना गांव के कम पढ़े लिखे युवक होते हैं। इस फार्म में गांव के मुखिया या प्रधान से अपनी पहचान की गारंटी लिखवानी होती है तथा ऊलजलूल सा हलफनामा भी भरना होता है। फार्म में सिक्योरिटी के लिए जमा कराई जाने वाली रकम का साफ जिक्र होता है ताकि भर्ती होने के लिए जब आयें तो पैसा जरूर लेते आये।

ये कम्पनियां अलग-अलग नामों से शहर के अलग-अलग इलाकों में किराए पर कमरे लेती हैं और अलग-अलग दिन भर्ती करने लगती हैं। ध्यान देने की बात यह है कि इन फर्जी कम्पनियों के दफ्तर आमतौर पर उन्हीं इलाकों में होते हैं जहां ज्यादा फैक्ट्रीयां होती हैं जैसे दिल्ली के नजफगढ़, नांगनलोई, विकासपुरी, बदरपुर, करोलबाग, जनकपुरी, शाहदरा, गोविन्दपुरी, ओखला, कोण्डली तथा नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद के इलाके इस धंधे के लिए ज्यादा बदनाम हैं। चूंकि इन इलाकों में बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान से आए फैक्ट्रीयों में काम करने वाले मजदूरों की तादाद अधिक है और इनके यहां इनके परिवार वाले तथा रिश्तेदार काम की तलाश में आते रहते हैं इसलिए इन इलाकों में इन फर्जी कम्पनियों को आसानी से सीधे साधे लड़के मिल जाते हैं।

नौकरियां देने वाले फर्जी दफ्तर एवं रिप्लेसमेंट दफ्तर का जाल देश की राजधानी दिल्ली में नहीं फैल रहा बल्कि उत्तरांचल राज्य की राजधानी देहरादून भी इससे अछूता नहीं है। यहां पर भी फैक्ट्री युक्त स्थानोें जैसे हरिद्वार, रायपुर, सेलाकुई आदि में भी अपना जाल फैलाने के लिए प्रयासरत हैं। इस तरह की जालसाजी से कई युवकों के मन पर गहरा असर पड़ता है और वह कई तरह के गलत काम करने लगते हैं।
महानगरों में नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले यह फर्जी संस्थान सीधे साधे युवकों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन फर्जी दफ्तरों के चुंगल में फंसने से बचा जाना चाहिए, नहीं तो ये धन के साथ-साथ सेहत और मन पर भी असर डालते हैं। हमारी सलाह है कि इन फर्जी

दफ्तरों से बचने के लिए नीचे दी जा रही सावधानियां बरतें-
सबसे पहले तो नौकरी के लिए इश्तिहार देखते समय इश्तिहार देने वाली कम्पनी का नाम और पता ठीक से जांच परख लें।
सीधी भर्ती और सिक्योरिटी की जहां भी बात हो, समझ लीजिए कि वहां 90 प्रतिशत फर्जी होने की उम्मीद है, क्योंकि नौकरियों में आमतौर पर सिक्योरिटी जमा नहीं करवाई जाती। बल्कि गांरटी देने वाली की मांग की जाती है ताकि आपके बारे में पूछताछ करने पर वह लोग आपकी जिम्मेदारी ले सकें।

मुफ्त घरों और वर्दी का दावा करने वाली कम्पनियों पर भी एकदम से यकीन न करें। क्योंकि वर्दी तो कोई बड़ी चीज नहीं होती लेकिन महानगरों में आज भी घर का मिलना एक बहुत बड़ी समस्या है। इसे इतनी आसानी से बांट देना बड़ी-बड़ी कम्पनियों के लिए भी मुश्किल काम होता है। इसलिए मुफ्त रहने की जगह के लालच में पड़कर इन फर्जी दफ्तरों के झांसे में न आएं।

आमतौर पर फर्जी दफ्तर किराए की दुकानों या फिर कमरों में बने होते हैं। इसलिए देखने से ही पता चल जाता है कि इनमें कितना दम है। अगर दफ्तर की बनावट बहुत साधारण है और लोग अच्छा खासा वेतन, वर्दी तथा घर की सहूलत दे रहे हैं तो समझ लीजिए वह धोखेबाज हैं इसलिए जब भी आप ऐसी जगहों पर जाएं तो उस दफ्तर की हालत को देखकर अंदाजा लगाने की कोशिश करें कि वह फर्जी है या ठीकठाक।
इंटरव्यू के समय से थोड़ा पहले पहुंचकर आसपास की चाय, पान आदि की दुकानों पर पूछताछ करके भी उस कम्पनी के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।

कई कम्पनियां नौकरे के लिए विदेश भेजने का भी दावा करती हैं जैसे ही आप विदेश जाने की इच्छा प्रकट करते हैं यह कम्पनियां वीजा और पासपोर्ट के लिए मोटी रकम की मांग करते हैं। लेकिन पासपोर्ट और वीजा बनवाना इतना आसान नहीं होता जितनी आसानी से यह कम्पनियां करवाने का दावा करती हैं।

भर्ती से पहले कम्पनी की शर्तो को अच्छी तरह से पढ़ लें क्योंकि ये लोग चालाकी से अपनी शर्ते रखते हैं और आपसे इकरारनामा तैयार करवा लेते हैं ताकि आप उनके चुंगल से बाहर न जा सकें, यदि कोई चीज आपको समझमें न आ रही हो तो उसके बारे में अच्छी तरह पूछताछ कर लें। इस तरह आप इस धोखाधड़ी से बचने का प्रयास करें।

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