UP: सपा की सरकार बनी तो क्या रुक जाएगा राम मंदिर निर्माण का काम?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विशेष साक्षात्कार में किसान, नौजवान, कानून-व्यवस्था के हालात, आर्थिक और रोजगार के मोर्चों पर प्रदेश की स्थिति के साथ ही भाईचारे जैसे मुद्दों पर भाजपा सरकार की नीतियों को लेकर जोरदार हमले बोला। साथ ही इन सब मोर्चों पर समाजवादी सोच को भी रखा। अखिलेश ने कहा-उत्तर प्रदेश में अब झूठ का हवाई जहाज नहीं उतरेगा। पहले चरण के मतदान से ही साफ हो चुका है कि भाजपा का सफाया तय है। उन्होंने तंज कसा कि भाजपा वालों ने डोर-टू-डोर कैंपेन तक बंद कर दिया है। क्योंकि, लोग उनको खाली सिलिंडर दिखा रहे हैं। अपराध के आंकड़े खुद-ब-खुद कानून-व्यवस्था की सच्चाई बता रहे हैं। यह चुनाव भाजपा बनाम भाईचारा का है। अब तक के चुनाव में भाजपा युवाओं, किसानों, बेरोजगारों के मुद्दों से भागती रही। वे कैराना, मुजफ्फरनगर को मुद्दा बना रहे थे। हमने असली मुद्दों पर बात की। पेश हैं अखिलेश यादव से राजेन्द्र सिंह और नितिन यादव की बातचीत के प्रमुख अंश…
पहले चरण का मतदान हो चुका है, दूसरे चरण का प्रचार थम चुका है, सपा की चुनावी संभावनाओं को लेकर आपका आकलन?
पहले चरण से साफ हो चुका है कि भाजपा का सफाया तय है। पश्चिम के लोगों ने बता दिया कि अब भाईचारा चलेगा। बांटने वाली ताकतों को वोट नहीं मिलेगा। मुझे इस बात की खुशी है कि किसानों और नौजवानों ने बढ़-चढ़कर सपा-रालोद गठबंधन को समर्थन दिया।
आपकी जीत के दावे का आधार क्या है?
नए साल में हमने नया संकल्प लिया था कि लोगों को 300 यूनिट बिजली फ्री देंगे। युवाओं को रोजगार देंगे और किसानों को 14 दिन में गन्ना मूल्य का भुगतान कराएंगे। उन्हें पूरा सम्मान देंगे। पहले भी 20 लाख लैपटॉप देकर हम यह साबित कर चुके हैं कि जो वादे करते हैं, उसे निभाते हैं। भाजपा वालों से पूछो कि वे अपने घोषणापत्र के वादों को कैसे पूरा करेंगे। वे पिछले वादे भूल गए। न तो किसानों की आय दोगुनी हुई और न ही युवाओं को रोजगार मिला। भाजपा वाले इन सवालों का जवाब दें, तब आगे की बात करें। भाजपा नेता झूठे वादे कर रहे हैं। ऊपर से नीचे तक सारे नेता तालमेल बिठाकर झूठ बोल रहे हैं, ताकि पकड़ा न जाए, लेकिन जनता अब सब समझ चुकी है।
वर्ष 2014 और 2019 में गठबंधन के प्रयोग सफल नहीं रहे। इस बार कैसे सफल होगा ?
गठबंधन तो पहले भी ठीक थे, लेकिन इस बार जनता ने मुहर लगाई है। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने का प्रयोग पहले चरण में सफल रहा है। सभी सहयोगियों को उचित सम्मान दिया जाएगा।
यह कहा जा रहा है कि जयंत गलत घर चले गए हैं, चुनाव बाद दूसरी ओर चले जाएंगे ?
भाजपा के नेता हमें अपनी तरह समझ रहे हैं। भाजपा ने निषादों को आरक्षण देने का वादा किया, लेकिन लखनऊ की रैली में एलान न होने पर समाज के लोगों ने उनका विरोध कर दिया। अपने साथ के लोगों को सम्मान नहीं देना, यह भाजपा की नीति रही है। हम और मजबूती से आगे बढ़ेंगे।
आप अपनी पांच साल की सरकार को किन वजहों से भाजपा सरकार से बेहतर मानते हैं?
भाजपा की सरकार ने लोगों को दिया क्या? महंगाई और बेरोजगारी की हालत किसी से िछपी नहीं है। जीडीपी लगातार गिरती जा रही है। भाजपा वालों ने डोर-टू-डोर कैंपेन तक बंद कर दिया है। लोग अब उनको खाली सिलिंडर दिखा रहे हैं। अपराध के आंकड़े खुद ही सच्चाई बता रहे हैं। जब जनता इतनी परेशान हो, तो अंदाजा लगा लीजिए कि किसकी सरकार बेहतर है।
सपा की सरकार बनने पर प्राथमिकताएं क्या होंगी?
हमने इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक किया। शानदार एक्सप्रेसवे और सड़कें बनवाईं। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है। एक्सप्रेसवे और इंफ्रास्टक्चर के हमारे विजन डॉक्यूमेंट के हिसाब से ही पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर प्रधानमंत्री हरक्यूलिस विमान उतरवा पाए। शाहजहांपुर की रोजा हो या अनपरा की बिजली परियोजना, समाजवादियों की सरकार में ही शुरू कराया गया। आजादी के बाद से बिजली उत्पादन को दोगुना करने का काम भी हमने ही किया है। बदायूं का मेडिकल कॉलेज और बरेली में 300 बेड का अस्पताल जैसी कई बड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं को सपा सरकार ने ही शुरू कराया। जो वादे किए गए हैं, सपा की सरकार आने पर सब पूरे किए जाएंगे। हम बहुत दिनों से तैयारी कर रहे हैं। बरेली में ही तीन दिन का कैंप लगाकर इसकी शुरुआत की गई थी।
मुफ्त बिजली समेत तमाम वादों के लिए पैसा कहां से आएगा?
300 यूनिट मुफ्त बिजली देने पर तीस हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रदेश का छह लाख करोड़ का बजट है। यदि हम लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर 15 हजार करोड़ और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर 25 हजार करोड़ खर्च कर सकते हैं, तो प्रदेश की जनता के लिए तीस हजार करोड़ की व्यवस्था क्यों नहीं हो सकती। पुरानी पेंशन के लिए कॉरपस फंड बनाया जाएगा। इसी तरह गन्ना भुगतान के लिए भी 2000 हजार करोड़ का कॉरपस फंड बनाया जाएगा। जहां तक मुफ्त पेट्रोल की बात है, तो हमने गणना करा ली है, वाहन चालकों को राहत देने के लिए केवल पांच सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होगा।