शिवपाल को जोड़ने के बाद यादवलैंड में नए सिरे से सियासी जमीन तैयार कर रहे अखिलेश
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब हर सियासी कदम फूंक.फूंक कर रख रहे हैं। चाचा शिवपाल को साथ जोड़ने के बाद वह घर से ही नए सिरे से सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं। वह पहली बार इटावाए मैनपुरीए एटाए फिरोजाबादए औरैयाए फर्रुखाबाद और कन्नौज यानी इस यादवलैंड पर पूरी शिद्दत के साथ फोकस कर रहे हैं। यहां के हर गांव के युवाओं से सीधे जुड़ कर भविष्य की रणनीति बना रहे हैं। इसे सियासी नजरिए से अहम माना जा रहा है। क्योंकि अभी तक यादवलैंड को मुलायम सिंह यादव के बाद शिवपाल का समर्थक माना जाता रहा है। मुलायम का गढ़ रहे यादवलैंड पर भाजपा लगातार भगवा ध्वज फहराने के लिए कोशिश करती रही है। पिछले चुनाव में सपा से नाराज होने वाले तमाम कद्दावर नेताओं को भाजपा ने जोड़ा। उन्हें संगठन के साथ सियासी मैदान में उतार कर नया संदेश देने का भी काम किया। विधानसभा चुनाव में कुछ हद तक कामयाबी भी मिली। इतना ही नहींए मुलायम सिंह के निधन के बाद भाजपा ने यहां से उनके शिष्य रघुराज सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया। वहींए इस उपचुनाव ने सपा ने अपनी रणनीति बदली। राग द्वेष भुलाकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को न सिर्फ जोड़ाए बल्कि उपचुनाव से दूर रहने की परंपरा को खत्म कर घर.घर चुनाव प्रचार भी किया। नतीजा रहा कि सपा घर की सीट बचाने में कामयाब रही।
उपचुनाव के बाद भी अखिलेश यादव इस इलाके में लगातार सक्रिय हैं। वह विधानसभा क्षेत्रवार लोगों से मिल रहे हैं। अभी तक इस इलाके के ज्यादातर लोगों की पहुंच परिवार के अन्य सदस्यों तक थी। परए अखिलेश यादव अब सभी को खुद से जोड़ने के अभियान में जुटे हैं।