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अधिकारी प्रशानिक सेवा के साथ साथ साहित्य सर्जन भी करेंगे तो जनता से सीधे जुड़ने में मदद मिलेगी :: पूर्व डी जी पी अशोक कुमार - Kaumi Guldasta Informatics Pvt. Ltd.
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अधिकारी प्रशानिक सेवा के साथ साथ साहित्य सर्जन भी करेंगे तो जनता से सीधे जुड़ने में मदद मिलेगी :: पूर्व डी जी पी अशोक कुमार

अधिकारी प्रशानिक सेवा के साथ साथ साहित्य सर्जन भी करेंगे तो जनता से सीधे जुड़ने में मदद मिलेगी :: पूर्व डी जी पी अशोक कुमार

-पूर्व पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, प्रख्यात शायर अफ़ज़ल मंगलौरी, प्रयाग आईएएस एकेडमी के डायरेक्टर आर.ए .खान ने किया “यादें ” काव्य संकलन का विमोचन

देहरादून: क़लम साधना फाउंडेशन की ओर से रविवार को राजपुर रोड स्थित हयात होटल में आयोजित कार्यक्रम में युवा कवि और डिप्टी कमिश्नर कुमार विजय द्रोणी के काव्य संग्रह ‘यादें’ का विमोचन किया गया। पूर्व डीजीपी अशोक कुमार, उनकी पत्नी अलकनंदा अशोक, प्रयाग आईएएस एकेडमी के डायरेक्टर आर.ए .खान और प्रख्यात शायर अफ़ज़ल मंगलौरी ने किया। इस मौके पर आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों और शायरों ने बेहतरीन रचनाएओं से समां बांध दिया।

उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक व हरियाणा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अशोक कुमार ने कुमार विजय की कविताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि वह आशावादी कवि हैं। उनकी रचनाओं में कहीं भी निराशा नहीं झलकती है। उन्होंने अपनी एक कविता सुनाते हुए कहा कि सरकारी नौकरी करने वाले जनता की सेवा के लिए हैं। जन सेवा को समझना होगा। हम सेवक नहीं साहब बन कर रहते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रयाग आईएएस अकादमी के निदेशक आरए खान ने सभी कवियों को बधाई दी।

विमोचन समारोह के बाद आयोजित गरिमामय काव्य गोष्ठी में कवियों व शायरों ने अपने क़लाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि कुमार विजय ‘द्रोणी’ ने गीत ‘बीत गया जो पल जीवन का कहां लौटकर आता है। रोज़ बदलते इस जीवन के यादें बन उड़ जाता है।।’ सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवयित्री अरुणा वशिष्ठ ने कई कविता सुनाई। उनकी कविता “ए जिन्दगी तू सबको सबक सिखाती हैं” को खूब सराहा गया। महेंद्र कुमार कामा ने गीत
अपनी है ये धरती अपना है अपना ये गगन।
ये सिंधू पर्वत अपने है अपना ये वतन।। सुनाया, जिसे खूब सराहा गया। इस मौके पर धनंजय उपाध्याय “रहबर” ने ग़ज़ल –
नैन से नैन लड़ाते लोग।
दिल को भी सुलगाते लोग।।
बेटी हो तो छाती पीटें।
बहु को दें नजराने लोग।। सुनाकर सबकी तालियां बटोरी। उत्तराखंड के जाने माने शायर दर्द गढ़वाली ने अपनी ग़ज़ल
“अंधे बहरे गूंगे लोग।
निकले कितने सस्ते लोग।।
मंजिल तक पहुंचाने को।
बन जाते थें रस्ते लोग।। सुनाकर सबका ध्यान आकर्षित किया। मोनिका अरोरा ‘मंतशा” ने तरन्नुम में ग़ज़ल
“मेरी किस्मत में तेरा साथ अगर हो जाए।
ज़िंदगी का मेरा आसान सफ़र हो जाए” सुनाकर महफ़िल लूट ली। उत्तराखंड उर्दू अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष व अंतरराष्ट्रीय शायर अफ़ज़ल मंगलौरी ने पूर्व पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के सम्मान में में ग़ज़ल
“‘भारत का अभिमान अशोक।
उत्तराखंड की शान अशोक।।
गर्व से मानवता भी कहे।
ख़ाकी में इंसान अशोक।।’”पढ़कर गोष्ठी को ऊंचाइयों तक पहुंचाया ।प्रोफेसर प्रमोद भारतीय ने कार्यक्रम का प्रभावी संचालन किया। इस मौके पर इस मौके पर प्रोफेसर अलकनंदा अशोक, वैभव दूबे कानपुरी,रियाज सिद्दीकी, इं शमीम अंसारी, महेंद्र कामा ,प्रोफेसर अजय शर्मा, नुसरत खान ,शाहनज़र,डारेक्टर विकास वशिष्ठ आदि उपस्थित रहे।

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