कृषि कानूनों की वापसी के बाद पंजाब में बड़ा भाई बनने के लिए तैयार भाजपा

चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद एक बार फिर से पंजाब में नए समीकरण बन सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। आपको बता दें कि पंजाब में भाजपा हमेशा से ही शिअद के साथ मिलकर चुनाव लड़ती थी लेकिन किसानों के मुद्दे को लेकर हरसिमरत सिंह कौर ने केंद्रीय पद छोड़ दिया था और फिर शिअद ने भाजपा के साथ सालों से चला आ रहा गठबंधन समाप्त कर दिया था। पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद तीनों कृषि कानून लेकर आई थी। इसके बाद से ही देश के विभिन्न हिस्सों खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन कानूनों का भारी विरोध आरंभ हो गया और इन राज्यों के किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आकर डट गए। इन तीनों राज्यों में किसानों की नाराजगी और लगभग सालभर से चल रहा आंदोलन भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन गया। बहरहाल, तीनों कानूनों की वापसी के ऐलान से भाजपा में अब उम्मीद जगी है कि वह पंजाब में सिखों की नाराजगी खत्म कर जहां एक नयी शुरुआत कर सकती है। वहीं शिअद के साथ अपने पुराने गठबंधन को बहाल भी करना चाहती है लेकिन शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार कर दिया था।

इसी बीच भाजपा महासचिव दुष्यंत गौतम ने कहा कि अगर शिअद छोटा भाई बनने के लिए तैयार है तो भाजपा फिर गठबंधन कर सकती है। दुष्यंत गौतम के इस बयान के बाद पंजाब की सियासत गर्मा गयी। भाजपा ने पहले ‘नवां पंजाब भाजपा दे नाल’ नारे के साथ अकेल चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था।

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