दुनिया ताकत की भाषा सुनती हैः मोहन भागवत

हरिद्वार: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद के सपनों का भारत साकार होने के करीब है और इसके लिये पूरे समाज को साथ मिलकर काम करना होगा. पीटीआई-भाषा के मुताबिक उन्होंने कहा कि ‘हम अहिंसा की बात करेंगे, लेकिन हम अपने हाथ में छड़ी रखेंगे. हमारे मन में किसी के प्रति शत्रुता नहीं है, लेकिन दुनिया ताकत की भाषा सुनती है. इसलिये, हमारे पास वैसी शक्ति होनी चाहिये, जो दिखाई दे.’

हरिद्वार में बुधवार को साधु संतों को संबोधित करते हुए भागवत ने ईश्वर और आम आदमी के बीच सेतु के तौर पर काम करने के लिये उनकी तारीफ की. आरएसएस द्वारा साझा किये गए उनके भाषण के अंश के अनुसार, भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक के बी हेडगेवार ने इसके स्वयंसेवकों को धर्म की रक्षा के लिये ‘चौकीदारी’ की भूमिका सौंपी है. भागवत ने कहा, ‘स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद के सपनों के भारत का साकार होने के करीब है. लोगों ने कहा कि इस गति से चले तब इसमें 20-25 साल लग जायेंगे, लेकिन अपने अनुभवों से मुझे लगता है कि यह आठ से 10 साल में साकार हो जाएगा. इसके लिये, पूरे समाज को साथ मिलकर काम करना होगा.’ आरएसएस प्रमुख ने ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और गुरुत्रय मंदिर के लोकार्पण समारोह में कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है. सनातन धर्म और भारत समान शब्द हैं. हमारी राष्ट्रीयता गंगा के प्रवाह की तरह कल-कल करके बह रही है. जब तक राष्ट्र है, तब तक धर्म है. धर्म के उत्थान के लिए प्रयास होगा तो भारत का उत्थान होगा. एक हजार साल तक भारत में सनातन धर्म को समाप्त करने के प्रयास किए गए, मगर वो लोग मिट गए. हम और सनातन धर्म आज भी वहीं है. उन्होंने कहा कि ‘भारत एक ऐसा देश है, जहां आकर दुनिया के हर प्रकार के व्यक्ति की दुष्ट प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है. वह भारत में आकर या तो ठीक हो जाता है या फिर मिट जाता है. भागवत ने कहा कि जो तथाकथित लोग सनातन धर्म का विरोध करते हैं, उनका भी उसमें सहयोग है. यदि वह विरोध न करते तो हिंदू जागता नहीं.’

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