उत्तराखण्डः हरीश रावत ने कहा, भाजपा के कुछ नेता हैं कांग्रेस के संपर्क में

देहरादून: अगले साल मार्च में संभावित उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सरगर्मियों का आलम यह है कि दोनों मुख्य पार्टियों की तरफ से बड़े बयानों का सिलसिला शुरू हो चुका है. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अहम बयान के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बड़ा बयान जारी किया है. रावत ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता उनकी पार्टी के संपर्क में बने हुए हैं. इससे पहले उत्तराखंड कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भी पिछले दिनों जनसंपर्क अभियान के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं को कांग्रेस पार्टी में बतौर सदस्य शामिल कर चुके हैं.

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अपने फेसबुक पोस्ट के साथ ही एक हिन्दी दैनिक अखबार के साथ बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि भाजपा के नेता उनके संपर्क में बने हुए हैं. भाजपा के नेतृत्व से नाराज़ कुछ नेताओं के साथ बातचीत होने का खुलासा करते हुए रावत ने यह भी कहा कि ‘पार्टी के दरवाज़े सबके लिए खुले हुए हैं, बस उनके लिए नहीं जो खुद को ज़्यादा स्मार्ट समझते हैं.’ हालांकि इस बयान के दौरान रावत ​ने किसी बीजेपी नेता के नाम का खुलासा नहीं किया. रावत के इस बयान से पहले उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी इस तरह के संकेत दे चुके थे. कांग्रेस की चुनाव कमेटी के प्रमुख बनाए गए रावत के ताज़ा बयान के बाद गोदियाल ने फिर संकेत देते हुए यही कहा, ‘रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और अगर वह कुछ कह रहे हैं, तो ज़रूर कोई वजह होगी.’ गौरतलब है कि कुछ दिनों से अपने​ ट्विटर पर गोदियाल भाजपा कार्यकताओं को कांग्रेस से जोड़ने की तस्वीरें और सूचनाएं साझा कर रहे हैं. इधर, ताज़ा मामले में गोदियाल ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी को जब उत्तराखंड का मुख्यमंत्री भाजपा ने बनाया तो भाजपा के हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज जैसे वरिष्ठ नेता नाराज़ हुए थे. गोदियाल के मुताबिक ‘इस तरह की खबरें भी थीं कि महाराज और रावत ने कुछ और नेताओं के साथ बैठकें भी की थीं. वह आग अब तक बुझी नहीं है.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘अगर कोई कांग्रेस में आना चाहता है तो पार्टी पूरे विश्लेषण के बाद इस पर फैसला लेगी.’

बता दें कि महाराज और रावत 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे. यही नहीं सुबोध उनियाल, रेखा आर्य और यशपाल आर्य भी पहले कांग्रेस में रह चुके हैं, जो अब भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इधर, हाल में एक इंटरव्यू में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्हें इस साल अप्रैल में सीएम पद से हटाने का फैसला अचानक था और सही नहीं था, लेकिन भाजपा के वफादार होने के कारण उन्होंने फैसले को स्वीकार किया. यही नहीं, त्रिवेंद्र सिंह ने धामी सरकार के कुछ फैसलों पर आपत्ति भी दर्ज की.

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