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मध्य प्रदेश: राज्यसभा की एक सीट के लिए एमपी में वोटिंग, काउंटिंग 4 अक्टूबर को

भोपाल: मध्य प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई है. जानकारी के मुताबिक, वोटिंग और काउंटिंग 4 अक्टूबर को होगी. राज्यसभा की यह सीट थावरचंद गहलोत के इस्तीफे से खाली हुई थी. थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है. इस बीच, बीजेपी ने दलितों को साधना शुरू कर दिया है.

गौरतलब है कि, गहलोत के राज्यपला बनने के बाद से इस सीट पर चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस दोनों इंतजार कर रही थीं. जानकारी के मुताबिक, चुनाव में 227 सदस्य हिस्सा ले सकत हैं. बता दें, दल की स्थिति के मुताबिक बीजेपी का इस सीट पर कब्जा बरकरार रहेगा. क्योंकि, विधानसभा में बीजेपी बहुमत में है. जबकि, जबकि, कांग्रेस के 95 सदस्य, 4 निर्दलीय, बसपा के दो और सपा की सदस्य संख्या एक है. पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा क्षेत्र की सीटें विधायकों के निधन की वजह से रिक्त हैं. चुनाव से पहले बीजेपी दलितों को साधने में जुट गई है. बीजेपी प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव गुरुवार को अनूसूचित जाति मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ संवाद कर रहे हैं. बैठक पुराने भोपाल के संत रविदास मंदिर में आयोजित की गई है. बैठक में बीजेपी में कई साल से पदों पर जमे पदाधिकारियों, सांसद, विधायक, पार्षदों को दो टूक बात कही गई है. राव ने दो टूक कहा कि 3 बार, 4 बार 5 बार सांसद, विधायक बनने के बाद भी जो कहे कि मौका नहीं मिला उससे बड़ा नालायक कोई नहीं. आने वाले दिनों में बीजेपी का एक मात्र एजेंडा दलित सशक्तिकरण है. दलितों के विषय में कोई काम रोजगार, शिक्षा से जुड़े छूटे हैं तो उन्हें छोड़ना नहीं है. राव ने कहा कि कांग्रेस ने पंचायत से पार्लियामेंट तक सत्ता चलाई, लेकिन अब फेल पर्टी है. गौरतलब है कि बुधवार को भी राजगढ़ में हुई बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक में यूं तो 2023 – 24 की चुनावी रणनीति पर मंथन हुआ, लेकिन इस बैठक में बीजेपी के पदाधिकारियों को हिदायत भी मिल गई. बैठक के अंदर की सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने सभी पदाधिकारियों को हिदायत जारी की है.

उन्होंने बैठक के दौरान पदाधिकारियों से कहा कि उन्हें पद घर बैठने के लिए नहीं मिला है. सभी पदाधिकारियों को अपने प्रभार वाले इलाकों में दौरे करने ही होंगे. इतना ही नहीं बैठक के दौरान ही पदाधिकारियों के लिए दौरों की समय सीमा भी तय कर दी गई है. महामंत्री स्तर के पदाधिकारियों को कम से कम 15 दिन प्रवास करना अनिवार्य किया गया है. इसके अलावा प्रदेश पदाधिकारियों के लिए भी समय सीमा तय की गई है. प्रदेश पदाधिकारियों को कम से कम 10 दिन तक प्रभार के इलाकों में प्रवास करना होगा.

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