आखिर क्यों किया हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले जगद्गुरू परमहंस का संत समिति ने किया बहिष्कार

अयोध्या: भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने और मुसलमानों व ईसाइयों की नागरिकता रद्द करने की मांग पूरी न करने पर सरयू नदी में जल समाधि लेने की घोषणा करने वाले स्वयंभू जगद्गुरू परमहंस आचार्य का संत समिति ने बहिष्कार कर दिया है. संत समाज का मानना है कि महामंडलेश्वर जगतगुरु महंत और श्री महंत की अपनी अलग परंपरा होती है. पद की प्राप्ति के लिए संत समिति निर्णय लेती है. वहीं जगत गुरु परमहंस आचार्य स्वयंभू हैं. संत समिति ने जगत गुरु परमहंस आचार्य का बहिष्कार कर दिया है.

बता दें कल ही परमहंस दास ने तपस्वी छावनी के समस्त पदों से इस्तीफा था. सूत्रों की माने तो संत समिति के पक्ष में जगत गुरु परमहंस आचार्य के पीठ के महंत सर्वेश्वर दास ने पहले ही परमहंस दास का बहिष्कार कर दिया है. इस निर्णय के बाद परमहंस आचार्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल जगत गुरु परमहंस आचार्य 2023 नवंबर में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन की घोषणा की है. इससे पहले उन्होंने तपस्वी छावनी पीठ से महंत पद से इस्तीफा देकर कहा कि कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने के लिए अभी से ही काम करना होगा. ऐसे में तपस्वी छावनी के समस्त पदों से इस्तीफा दे रहा हूं. उन्होंने चेतावनी दी कि 2023 नवंबर में दिल्ली के रामलीला मैदान में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने के लिए करोड़ों अनुयायियों के साथ अनशन करुंगा. उन्होंने AC गाड़ियों में घूमने वाले तथा एसी कमरों में रहने वाले महंतों पर हमला करते हुए कहा कि इस समय संतों में विकृति आ गई है. लोग पैर दबाकर संत बनते हैं और गला दबाकर महंत बन जाते हैं. बीते दिनों भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने के लिए माह मई में जगत गुरु परमहंस आचार्य ने अपनी खुद की चिता सजाई थी, लेकिन प्रशासनिक दबाव के बाद जगत गुरु परमहंस आचार्य को हाउस अरेस्ट किया गया था. एक बार फिर जगत गुरु परमहंस आचार्य गांधी जयंती के दिन जल समाधि लेने की बात कही थी, जिसके बाद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में संत परमहंस को फिर से हाउस अरेस्ट किया गया.

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