बड़ी खबरः कोविड काल में मोदी सरकार के कड़े अनुशासन ने तंदुरुस्त रखी भारतीय अर्थव्यवस्था

कोविड-19 ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी, लेकिन अब हालात में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. यह जानकर ख़ुशी होती है कि शेष विश्व के मुक़ाबले हमारे देश की माली हालत ज़्यादा गति से सुधर रही है. इस हक़ीक़त पर अर्थव्यवस्था के कई वैश्विक मंच मुहर लगा चुके हैं. 13 अक्टूबर, 2021 को विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने वॉशिंगटन में कहा कि कोरोना महामारी के कारण बिगड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और वर्ल्ड बैंक उसका स्वागत करता है. मलपास ने टीकों के उत्पादन और टीकाकरण के लिए भारत की प्रशंसा की और कहा कि भारत ने कोविड की ताज़ा लहर पर अंकुश लगाने में कामयाबी पाई है.

उन्होंने बताया कि भारत पर दुनिया भर में बढ़ रही मुद्रा स्फीति का असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत लोगों की आमदनी बढ़ाने की बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है और इस दिशा में प्रगति भी हो रही है, लेकिन अभी काफ़ी कुछ होना बाक़ी है. ज़ाहिर है कि विपक्ष कुछ भी आधारहीन आरोप लगाए, वर्ल्ड बैंक की इस स्वीकारोक्ति के बाद कोविड काल जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सही दिशा में लिए गए फ़ैसलों और उन पर सकारात्मक क्रियान्वयन को अर्थव्यवस्था में सुधार का श्रेय देना ही पड़ेगा. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने भी अनुमान जताया था कि वर्ष 2022 में भारत 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ने वाली सबसे तेज़ गति से उभरती अर्थव्यवस्था हो जाएगा. आईएमएफ़ ने अमेरिकी वृद्ध दर 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. भारत को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की वृद्धि दर छह प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने का अनुमान लगाया है, तो भारत के लिए यह संतोषजनक बात है. कोविड-19 के कारण वर्ष 2020 में भारत की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की कमी आई थी.

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी महेश व्यास का मानना है कि सितंबर, 2021 में भारत में 85 लाख अतिरिक्त रोज़गार पैदा होने की असाधारण घटना हुई. उनके अनुसार हम वर्ष 2019-20 में बढ़े रोज़गार अवसरों की बराबरी करने से अभी दूर हैं. भारत ने सितंबर 2021 में कुल 40.62 करोड़ लोगों को रोज़गार दिया, जबकि वर्ष 2019-20 में यह संख्या 40.89 करोड़ रही थी. महेश मानते हैं कि सितंबर 2021 में रोज़गार में आई उछाल हाल की तरह कृषि रोज़गार में हुई वृद्धि का नतीजा नहीं था. सितंबर की रोज़गार वृद्धि ग्रामीण भारत में गैर-आनुपातिक ढंग से अधिक थी, लेकिन शहरी क्षेत्रों में भी क़रीब 20 लाख नए रोज़गार पैदा हुए थे. इस तरह रोज़गार वृद्धि का फलक अधिक व्यापक था, लिहाजा इसके टिकाऊ होने की उम्मीद है.

29 जनवरी, 2021 को प्रेस इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी. यह देश की आज़ादी के बाद सर्वाधिक है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 की आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट पेश करते हुए जानकारी दी कि आर्थिक विकास फिर से तेज़ रफ़्तार पकड़ेगा. समीक्षा में बताया गया कि भारत की अर्थव्यवस्था दो वर्षों में ही महामारी पूर्व स्तर पर पहुंचने के साथ-साथ इससे भी आगे निकल जाएगी. ये अनुमान आईएमएफ़ के पूर्वानुमान के अनुरूप ही हैं, जिनमें कहा गया है कि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 11.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहेगी.

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