Lucknow : चुनावी गोलबंदी की जमीन तैयार करेगी मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट, भाजपा के हाथ लगा नया हथियार
ईद के मौके पर 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे की जांच रिपोर्ट करीब 40 साल बाद सार्वजनिक करके सरकार ने जहां भाजपा समेत हिंदूवादी संगठनों की छवि पर लगे सांप्रदायिकता फैलाने के धब्बे को धो दिया है, वहीं, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सियासी गोलबंदी की जमीन भी तैयार कर दी है। इस रिपोर्ट ने विपक्ष पर हमला के लिए भाजपा के हाथ में एक नया हथियार भी थमा दिया है। माना जा रहा है कि यह जांच रिपोर्ट प्रदेश में सियासी तापमान को जरूर बढ़ाएगी। रिपोर्ट के निष्कर्षों के सहारे भाजपा विपक्ष पर हमलों को और धार देगी तो आरएसएस व विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदू संगठन भी विपक्ष की घेराबंदी करेंगे । माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में दंगा के लिए मुस्लिम लीग को जिम्मेदार ठहराए जाने और हिंदू संगठनों को क्लिनचिट दिए जाने का भाजपा सियासी फायदा उठाने की कोशिश तो करेगी ही, साथ ही विपक्ष खासकर सपा के मुस्लिम वोट बैंक को लेकर किए जाने वाले ध्रुवीकरण की धार को भी कुंद करेगी। उधर रिपोर्ट में किए गए भाड़े के लोगों को बुलाकर दंगा कराने और इसके पीछे वाल्मीकि तथा सिख समाज को फंसाने की साजिश का उल्लेख सपा, कांग्रेस और बसपा के लिए सियासी समीकरण को भी धक्का लगने की संभावना है। माना तो यह भी जा रहा है कि इस रिपोर्ट का सहारा लेकर भाजपा पसमांदा मुस्लिमों के बीच सेंधमारी की भी कोशिश करेगी । रिपोर्ट सार्वजनिक करने में हुई देरी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जो कारण बताए गए हैं, उस पर गौर करें तो पाएंगे कि इसमें भी भविष्य की सियासत की पटकथा लिखी गई है। इन कारणों को बताकर भी वर्ष 1986 से लेकर 2005 तक प्रदेश की सत्ता में रही कांग्रेस, सपा और बसपा को कठघरे में खड़ी करेगी। क्योंकि दौरान 14 बार रिपोर्ट को सदन में रखने के लिए कैबिनेट नोट तैयार किए गए थे, लेकिन इन दलों की सरकारों ने इसे दबा दी थी।