उत्तर कोरिया का भारत कनेक्शन!

उत्तर कोरिया ने एक और मिसाइल का टेस्ट किया. मिसाइल जापान के ऊपर से गुजरी. दक्षिण कोरिया की सेना के मुताबिक, ये मिसाइल करीब 770 किलोमीटर की ऊंचाई तक गई और इसने क़रीब सैंतीस सौ किलोमीटर का सफ़र तय किया. उत्तर कोरिया के इस कदम ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे लेकर एक बैठक भी बुलाई है.

उत्तर कोरिया का भारत कनेक्शन?
उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर देश चीन औऱ सऊदी अरब है लेकिन तीसरा सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर भारत है. भारत उत्तर कोरिया में निर्यात करता है. पिछले साल 2016-17 में भारत और उत्तर कोरिया के बीच 872 करोड़ का कारोबार हुआ था. भारत ने उत्तर कोरिया को 301 करोड़ का सामान बेचा और उत्तर कोरिया से 570 करोड़ का सामान खरीदा. हालांकि इस साल उत्तर कोरिया को लेकर भारत का रुख काफी कड़ा हुआ है. हालांकि किम जोंग की एक साल की हरकतों को देखने के बाद और संयुक्त राष्ट्र के उत्तर कोरिया पर लगाए बैन के समर्थन में भारत ने भी उत्तर कोरिया के साथ धंधा बंद कर दिया है लेकिन खाने पीने की चीजें और दवाएं आज भी उत्तर कोरिया को भारत देता है. खाने की कमी को पूरी करने के लिए भारत 2002 से उत्तर कोरिया की मदद करता रहा है. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. 2001 में भारत ने उत्तर कोरिया को एक मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद भी दी थी.

इसी साल 21 अप्रैल को मोदी सरकार गजट नोटिफिकेशन निकाला था. इसके मुताबिक भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी उत्तर कोरिया को किसी भी तरह का परमाणु संबंधित ऐसी तकनीक या कोई सामान नहीं देगा जिसका इस्तेमाल उत्तर कोरिया अपने मिसाइल ताकत को बढ़ाने में कर सके. उत्तर कोरिया से भारत का कूटनीतिक रिश्ता 1970 से चला रहा है लेकिन रिश्ता हमेशा से बहुत सीमित रहा है. हालांकि यूपीए सरकार के समय तानाशाह की सेना को ट्रेनिंग भारतीय सेना दिया करती थी.

मोदी सरकार के वक्त ही पहली बार भारत और उत्तर कोरिया के बीच डिप्लोमेटिक विजिट शुरू हुआ. मई 2015 में पहली बार उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री री सु योंग ने भारत का दौरा किया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की और मांग की कि उत्तर कोरिया को भी लुक ईस्ट पॉलिसी में शामिल किया जाए. 2015 में मोदी सरकार ने जसमिंदर कस्तुरिया को 2015 में राजदूत बनाया. कस्तूरिया पहले से स्टेनोग्राफर अजय कुमार शर्मा उत्तर कोरिया में राजदूत हुआ करते थे. 2015 में संयुक्त राष्ट्र में जब उत्तर कोरिया के खिलाफ माहौल बना और मानवाधिकार हनन के खिलाफ प्रस्ताव पेश हुआ तब भारत उत्तर कोरिया के न तो पक्ष में खड़ा हुआ, न विपक्ष में. भारत ने वोटिंग में हिस्सा न लेने का विकल्प चुना. मोदी उत्तर कोरिया के पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया में तो 2015 में जा चुके हैं लेकिन उत्तर कोरिया अभी तक नहीं गये. भारत के मिजाज से उत्तर कोरिया बिलकुल मेल नहीं खाता लेकिन भारत उत्तर कोरिया को नजरअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि भारत के दो दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान की उत्तर कोरिया की खूब बनती है. उत्तर कोरिया की 95 प्रतिशत जरूरतें चीन पूरी करता है. उत्तर कोरिया में भले खाने के लाले पड़े हों लेकिन उसने परमाणु ताकत जुटा ली है. उत्तर कोरिया वो देश था जिसने पाकिस्तान को परमाणु तकनीक दी थी. पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक ए क्यू खान पर जब परमाणु तकनीक बेचने का आरोप लगा तो उसका खरीदार उत्तर कोरिया भी था. पाकिस्तान के आज भी उत्तर कोरिया से कारोबारी संबंध बने हुए हैं.

उत्तर कोरिया को लेकर भारत अजब की स्थिति में हैं. न खुलकर दुश्मन मानता है, न दोस्त. किम जोंग को निपटाने पर तुली अमेरिका की ट्रंप सरकार चाहती है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ लड़ाई में भारत अमेरिका का भागीदार बने. आतंकवाद के खिलाफ पीएम मोदी जब भारत के पक्ष में दुनिया के देशों को खड़ा करने में लगे हैं तब ट्रंप भी चाहेंगे कि उनके सबसे बड़े दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में मोदी उनका साथ दें.

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